डाक वस्तुओं के वितरण का नियम (Rules for Delivery of Postal Articles): भारतीय डाक विभाग ने डाक वस्तुओं के वितरण (Delivery of Postal Articles) के लिए स्पष्ट और व्यवस्थित नियम बनाए हैं, ताकि हर पत्र, पार्सल या बीमाकृत वस्तु सही व्यक्ति तक सुरक्षित रूप से पहुँचे।
इन नियमों में यह बताया गया है कि कौन-सी डाक कैसे दी जाएगी, कब उसे लौटाया जाएगा, और रजिस्टर्ड या मूल्यदेय वस्तुओं की सुपुर्दगी किन परिस्थितियों में होगी। इनसे डाक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनी रहती है।
यह नियम डाकघर गाइड भाग 1 में दिया है. आइये इन नियमों को विस्तार से समझते हैं.
Content List
- 1 35. परिभाषा (Definition of Delivery)
- 2 36. रजिस्ट्री वस्तुओं का वितरण (Delivery of Registered Articles)
- 3 37. रजिस्टर्ड वस्तु लेने से इनकार करना (Refusal to Take Registered Article)
- 4 38. कंपनियों (Firms) को रजिस्ट्री डाक देने की विशेष प्रक्रिया
- 5 39. महिला अधिकारी के नाम पर डाक वस्तुओं का वितरण
- 6 40. क्षतिग्रस्त रजिस्टर्ड पत्र या पार्सल का वितरण (Delivery of Damaged Articles)
- 7 41. पार्सलों का वितरण और रखने की अवधि (Delivery & Retention of Parcels)
- 8 42. बीमाकृत वस्तुओं का वितरण (Delivery of Insured Articles)
- 9 43. मूल्यदेय वस्तुओं का वितरण (Delivery of Value Payable Articles – V.P.P.)
- 10 44. सीमा शुल्क (Customs Duty) वाली वस्तुओं का वितरण
- 11 45. वितरण शुल्क (Delivery Charges)
- 12 46. गैर-वितरण डाकघरों में बीमाकृत या मूल्यदेय वस्तुओं का वितरण
- 13 47. मनी ऑर्डर का भुगतान (Payment of Money Orders)
- 14 48. डाकियों और वितरण एजेंटों की जिम्मेदारी
- 15 49. ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे डाकघरों में वितरण व्यवस्था
- 16 50. डाक वस्तुओं को लेने से इंकार करना (Refusal to Take Delivery)
- 17 51. प्रभार अदा करने का दायित्व (Liability to Pay Postal Charges)
- 18 52. डाकघर को देय प्रभार वसूल करने के उपाय (Methods of Recovery by Post Office)
- 19 53. दुर्भावनापूर्ण (दुर्भावपूर्वक) भेजी गई डाक वस्तुएँ (Maliciously Sent Articles)
- 20 54. रक्षा सेवा कर्मियों के लिए पत्र (Letters for Defence Service Personnel)
- 21 57. डाक वितरण रोकने की सुविधा (Retention of Delivery at Post Office)
- 22 58. उन स्थानों के लिए जहाँ रोज़ाना डाकिया नहीं जाता (Delivery through Messenger)
- 23 59. मनी ऑर्डर का भुगतान (Payment of Money Order through Messenger)
- 24 60. संदेशवाहक को रजिस्ट्री वस्तुओं का वितरण (Delivery of Registered Articles to Messenger)
- 25 61. शैक्षणिक संस्थाओं के विद्यार्थियों के लिए डाक वितरण (Delivery of Postal Articles to Students)
- 26 Conclusion (निष्कर्ष)
35. परिभाषा (Definition of Delivery)
डाक वस्तुओं के वितरण का नियम (Rules for Delivery of Postal Articles) के अनुसार —
अगर कोई डाक वस्तु (पत्र, पार्सल आदि) प्राप्तकर्ता के घर, दफ्तर, कार्यालय, उसके नौकर, एजेंट या उस व्यक्ति को दी जाती है
जिसे प्राप्तकर्ता ने वितरण के लिए अधिकृत (Authorized) किया है,
तो यह माना जाएगा कि वस्तु का वितरण स्वयं प्राप्तकर्ता को ही हो गया है।
मतलब:
यदि पत्र किसी अधिकृत व्यक्ति (जैसे परिवार के सदस्य या कर्मचारी) को सौंपा गया है,
तो वह “डिलीवरी पूरी” मानी जाएगी।
36. रजिस्ट्री वस्तुओं का वितरण (Delivery of Registered Articles)
किसी भी रजिस्टर्ड डाक वस्तु को केवल उसी व्यक्ति या उसके अधिकृत प्रतिनिधि को दिया जाएगा,
और उसे निर्धारित फॉर्म पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है।पोस्टमैन उस रसीद को प्रस्तुत करेगा, और प्राप्तकर्ता से उस पर हस्ताक्षर (या अंगूठा निशान) लेकर वस्तु सौंपेगा।
यानी बिना हस्ताक्षर के कोई भी रजिस्टर्ड वस्तु नहीं दी जाएगी।
37. रजिस्टर्ड वस्तु लेने से इनकार करना (Refusal to Take Registered Article)
अगर कोई प्राप्तकर्ता:
डाकघर द्वारा पेश की गई रजिस्टर्ड वस्तु लेने से मना करता है, या
उसे रोकने के लिए लिखित आवेदन देता है,
तो ऐसी वस्तु डाकघर में 7 दिन तक रखी जाएगी।
यदि उस अवधि में वह व्यक्ति वस्तु नहीं लेता, तो उसे भेजने वाले (प्रेषक) को वापस भेज दिया जाएगा, और रजिस्टर में यह दर्ज किया जाएगा कि — “लेने से इनकार”।
यह नियम बताता है कि पोस्ट ऑफिस 7 दिन बाद वस्तु को वापस लौटा देता है।
38. कंपनियों (Firms) को रजिस्ट्री डाक देने की विशेष प्रक्रिया
जब कोई संस्था या कंपनी (Firm) बड़ी संख्या में रजिस्टर्ड डाक प्राप्त करती है,
तो उन सभी वस्तुओं की एक विशेष सूची (Special List) तैयार की जाती है।डाक वस्तुएँ उस सूची के साथ कंपनी को प्रस्तुत की जाती हैं।
कंपनी उस सूची पर हस्ताक्षर करती है और सूची की एक प्रति डाकघर को लौटा देती है।
ऐसी वस्तुओं के लिए अलग-अलग रसीदें नहीं बनाई जातीं।
यह प्रक्रिया समय बचाने और रिकॉर्ड सही रखने के लिए है।
39. महिला अधिकारी के नाम पर डाक वस्तुओं का वितरण
यदि रजिस्टर्ड या बीमाकृत वस्तु किसी महिला सरकारी अधिकारी को भेजी गई है
और उसका कोई अधिकृत एजेंट (Authorized Agent) नहीं है,
तो वितरण से पहले:
डाकिया को उस महिला की पहचान किसी विश्वसनीय व्यक्ति (जैसे परिचित या रिश्तेदार) से करानी होगी।
उस व्यक्ति को पहचान के प्रमाण पर हस्ताक्षर या अंगूठा निशान देना होगा।
मतलब: पहचान की पुष्टि के बाद ही वस्तु सौंपना है।
40. क्षतिग्रस्त रजिस्टर्ड पत्र या पार्सल का वितरण (Delivery of Damaged Articles)
यदि कोई रजिस्टर्ड पत्र या पार्सल टूटी या फटी स्थिति में आता है,
तो डाकघर का पोस्टमास्टर प्राप्तकर्ता को एक सूचना (Notice) भेजेगा।
प्राप्तकर्ता को कहा जाएगा कि वह 7 दिन (घरेलू डाक) या 15 दिन (विदेशी डाक) के भीतर
स्वयं या अपने एजेंट के माध्यम से डाकघर आए और वस्तु प्राप्त करे।वितरण से पहले वस्तु की जाँच (Inspection) की जाती है और
पोस्टमास्टर के सामने ही दी जाती है।
यह डाक वस्तुओं के वितरण का नियम (Rules for Delivery of Postal Articles) ग्राहकों को पारदर्शी तरीके से क्षतिग्रस्त डाक सौंपने के लिए बनाया गया है।
41. पार्सलों का वितरण और रखने की अवधि (Delivery & Retention of Parcels)
10 किलो तक के पार्सल केवल एक बार वितरण के लिए भेजे जाते हैं।
यदि पहली बार प्राप्तकर्ता नहीं मिला, तो पार्सल डाकघर वापस लाया जाता है।इसके बाद प्राप्तकर्ता को सूचना भेजी जाती है कि वह स्वयं या
अपने अधिकृत एजेंट के माध्यम से 7 दिन के भीतर आकर पार्सल ले जाए।यदि 7 दिन में पार्सल नहीं लिया गया,
तो उसे “लावारिस (Unclaimed)” मानकर डाक विभाग के नियमों के अनुसार निपटाया जाएगा।
भारी पार्सल (10 किलो से अधिक) हमेशा डाकघर की खिड़की पर ही दिए जाते हैं।
42. बीमाकृत वस्तुओं का वितरण (Delivery of Insured Articles)
जिन बीमाकृत डाक वस्तुओं का मूल्य ₹500 से कम है,
उनका वितरण सामान्य तरीके से किया जाता है।₹500 से अधिक मूल्य वाली बीमाकृत वस्तुएँ केवल डाकघर की खिड़की पर दी जाती हैं।
यदि वस्तु के लिफाफे पर खोलने या छेड़छाड़ के संकेत हों,
तो पोस्टमास्टर की उपस्थिति में वस्तु खोली जाती है और उसकी दो प्रतियों में सूची (Inventory) बनाई जाती है।एक प्रति प्राप्तकर्ता रखता है,
दूसरी प्रति डाकघर द्वारा प्रेषक को भेजी जाती है।
नोट 1:
यदि प्राप्तकर्ता पहली बार बुलाने पर वस्तु नहीं लेता,
तो दोबारा वितरण नहीं किया जाएगा — केवल सूचना भेजी जाएगी।
अगर सूचना के बाद भी नहीं आया, तो वस्तु प्रेषक को “लेने से इनकार” लिखकर लौटाई जाएगी।
नोट 2:
जब प्राप्तकर्ता या उसका एजेंट हस्ताक्षरित रसीद लेकर डाकघर आता है,
तो पोस्टमास्टर या वितरण क्लर्क की उपस्थिति में उसे वस्तु दी जाती है
और प्राप्तकर्ता को सूची पर हस्ताक्षर करके सूचना वापस करनी होती है।
43. मूल्यदेय वस्तुओं का वितरण (Delivery of Value Payable Articles – V.P.P.)
मूल्यदेय वस्तु (Value Payable Post) वह होती है जिसमें भेजने वाले ने यह निर्धारित किया होता है कि प्राप्तकर्ता को वस्तु मिलने पर कुछ राशि (Price) डाकघर को चुकानी है, जो बाद में भेजने वाले को भेज दी जाती है।
वितरण के नियम
₹100 से अधिक मूल्य की वस्तु:
प्राप्तकर्ता को डाकघर से सूचना (Notice) भेजी जाती है कि उसकी VPP वस्तु आ गई है।
वह डाकघर जाकर राशि नकद में चुकाता है और रसीद पर हस्ताक्षर करता है,
तब वस्तु उसे दी जाती है।
₹100 या उससे कम मूल्य की वस्तु:
ऐसी वस्तुएँ पोस्टमैन द्वारा घर पर ही दी जाती हैं।
पोस्टमैन राशि वसूलकर रसीद पर प्राप्तकर्ता या उसके अधिकृत एजेंट से हस्ताक्षर लेता है।
₹25 से अधिक मूल्य की वस्तु, यदि ग्राम डाकिया (GDS) या एजेंट द्वारा दी जा रही है,
तो वह केवल डाकघर पर ही दी जाएगी — घर पर नहीं।यदि मूल्य ₹20 से अधिक और डाकघर के काउंटर से दी जानी है,
तो भुगतान नकद या चेक, दोनों से किया जा सकता है (नियम 94-A के अनुसार)।
इस डाक वस्तुओं के वितरण का नियम (Rules for Delivery of Postal Articles)का उद्देश्य सुरक्षा और सही भुगतान सुनिश्चित करना है।
44. सीमा शुल्क (Customs Duty) वाली वस्तुओं का वितरण
विदेश से आई डाक वस्तुओं पर यदि सीमा शुल्क (Custom Duty) लगता है और
यह शुल्क ₹50 से अधिक है, तो ऐसी वस्तु केवल डाकघर की खिड़की पर दी जाती है।प्रेसिडेंसी और प्रथम श्रेणी के डाकघरों में यह सीमा ₹100 तय की गई है।
शुल्क का भुगतान नकद या चेक दोनों से किया जा सकता है।
यानी कस्टम टैक्स चुकाए बिना वस्तु प्राप्त नहीं की जा सकती।
45. वितरण शुल्क (Delivery Charges)
विदेशों से आने वाले छोटे पैकेट्स या पार्सलों पर
वितरण शुल्क (Delivery Fee) लगाया जाता है।यह शुल्क डाकघर गाइड भाग 2 में दी गई दरों के अनुसार वसूला जाता है।
यह शुल्क केवल विदेशी छोटी डाक वस्तुओं पर लागू होता है।
46. गैर-वितरण डाकघरों में बीमाकृत या मूल्यदेय वस्तुओं का वितरण
कुछ डाकघर ऐसे होते हैं जहाँ नियमित पोस्टमैन द्वारा वितरण नहीं किया जाता (Non-Delivery Offices)।
जनता की सुविधा के लिए ऐसे डाकघरों को यह अधिकार दिया गया है कि
वे बीमाकृत (Insured) या मूल्यदेय वस्तुएँ अपने काउंटर (खिड़की) से वितरित कर सकें।इन डाकघरों की सूची डाकघर गाइड भाग 3 में दी गई है।
इससे छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को डाक लेने में सुविधा मिलती है।
47. मनी ऑर्डर का भुगतान (Payment of Money Orders)
(1) सामान्य भुगतान प्रक्रिया:
पोस्टमैन प्राप्तकर्ता के पते पर जाकर मनी ऑर्डर देता है।
प्राप्तकर्ता हस्ताक्षर करता है और कूपन (रसीद) अपने पास रखता है।
(2) पहचान सत्यापन:
यदि प्राप्तकर्ता उस डाकघर क्षेत्र में स्थायी रूप से नहीं रहता
या पोस्टमास्टर उसे नहीं जानता,
तो पहचान प्रमाण या गवाह (Proof of Identity) के बाद ही भुगतान किया जाएगा।
(3) बड़े भुगतान (Head Post Office में):
यदि किसी फर्म, कंपनी या सरकारी कार्यालय को कई मनी ऑर्डर मिलते हैं,
तो भुगतान चेक या पोस्टल पेमेंट वाउचर के माध्यम से किया जा सकता है।एक व्यक्ति एक ही मनी ऑर्डर के लिए दोनों माध्यम (चेक और वाउचर) का उपयोग नहीं कर सकता।
(4) ₹500 से अधिक राशि:
₹500 से अधिक के मनी ऑर्डर का भुगतान ग्राम डाकिया नहीं करता।
ऐसे मामलों में भुगतान डाकघर की खिड़की पर ही होता है।
कुछ विशेष परिस्थितियों में ग्रामीण डाक सेवक (GDS) ₹2000 तक के मनी ऑर्डर वितरित कर सकते हैं।
इन डाक वस्तुओं के वितरण का नियम (Rules for Delivery of Postal Articles) से मनी ऑर्डर की सुरक्षा और सही भुगतान सुनिश्चित होता है।
48. डाकियों और वितरण एजेंटों की जिम्मेदारी
डाकिया या एजेंट को बिना पूरी राशि वसूल किए
किसी भी मूल्यदेय या सीमा शुल्क वाली वस्तु नहीं देनी चाहिए।रजिस्टर्ड, बीमाकृत या VPP वस्तुएँ भी बिना हस्ताक्षर या रसीद के नहीं दी जा सकतीं।
ऐसा करना नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
डाकियों की यह जिम्मेदारी पारदर्शिता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए है।
49. ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे डाकघरों में वितरण व्यवस्था
जहाँ अलग से डाकिया या वितरण एजेंट नहीं होता,
वहाँ पोस्टमास्टर स्वयं वितरण करता है।वह प्राप्तकर्ताओं को डाकघर बुलाकर
रजिस्ट्री, बीमाकृत और मनी ऑर्डर की वस्तुएँ देता है।गैर-रजिस्टर्ड वस्तुएँ वह अपनी जिम्मेदारी पर बाँट सकता है।
यह ग्रामीण इलाकों में डाक सेवा निरंतर बनाए रखने की व्यवस्था है।
50. डाक वस्तुओं को लेने से इंकार करना (Refusal to Take Delivery)
यदि प्राप्तकर्ता वस्तु लेने से मना करता है,
तो डाकघर उस वस्तु की राशि (यदि कोई है)
वसूलने के लिए बाध्य नहीं है।डाकिया उस लिफ़ाफे या पार्सल पर “लेने से इंकार (Refused to take)” लिख देता है।
इससे यह रिकॉर्ड रहता है कि वस्तु सही पते पर पहुँची थी, लेकिन लेने से मना किया गया।
51. प्रभार अदा करने का दायित्व (Liability to Pay Postal Charges)
जब कोई व्यक्ति किसी ऐसी डाक वस्तु को प्राप्त करता है —
जिस पर डाकघर को कुछ शुल्क (Charges) वसूलने हैं,
तो उस व्यक्ति का यह कर्तव्य (Responsibility) है कि वह वह राशि प्राप्ति से पहले अदा करे।
यदि वस्तु पर डाक या कोई अन्य शुल्क लिखा हुआ है,
तो डाकघर को वह रकम वस्तु खोलने से पहले ही दी जानी चाहिए।अगर किसी को लगता है कि अधिक शुल्क लिया गया है,
तो वह संबंधित पोस्टमास्टर के पास जाकर शिकायत दर्ज कर सकता है।
सार: डाक वस्तु लेने वाले को, उस पर लिखा पूरा शुल्क वस्तु प्राप्त करने से पहले देना होता है।
52. डाकघर को देय प्रभार वसूल करने के उपाय (Methods of Recovery by Post Office)
अगर कोई व्यक्ति ऐसी वस्तु प्राप्त करता है जिस पर डाकघर का कोई शुल्क, कर या सीमा शुल्क (Customs Duty) देय है और वह व्यक्ति भुगतान करने से इनकार कर देता है, तो –
- डाकघर वह राशि वही प्रक्रिया अपनाकर वसूल करेगा,
- जैसे सरकार अपना कोई बकाया टैक्स या जुर्माना वसूल करती है।
यदि वस्तु भारत सरकार की ओर से नहीं भेजी गई है, बल्कि सामान्य व्यक्ति द्वारा भेजी गई है, तो डाकघर को यह अधिकार है कि वह वस्तु को तब तक रोके रखे जब तक शुल्क का भुगतान न हो जाए।
सार: डाकघर बिना भुगतान के वस्तु नहीं देगा — वह वस्तु रोक सकता है या राशि वसूली तक नहीं सौंपेगा।
53. दुर्भावनापूर्ण (दुर्भावपूर्वक) भेजी गई डाक वस्तुएँ (Maliciously Sent Articles)
यदि किसी वस्तु को जानबूझकर किसी व्यक्ति को परेशान करने, अपमानित करने या नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से भेजा गया है, और यह साबित हो जाए कि वस्तु दुर्भावनापूर्ण (Malicious) है, तो –
- डाक विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उस वस्तु पर लगे डाक शुल्क या प्रभार को माफ (Remit) कर सकते हैं।
- सर्किल प्रमुख (Circle Head) को यह अधिकार है कि वह ऐसे मामलों में पूरा शुल्क माफ कर सकता है।
- डाकघर अधीक्षक या प्रथम श्रेणी पोस्टमास्टर ₹10 तक का शुल्क माफ करने का अधिकार रखते हैं।
सार: यदि किसी वस्तु को किसी को परेशान करने के उद्देश्य से भेजा गया है, तो डाक शुल्क माफ किया जा सकता है।
54. रक्षा सेवा कर्मियों के लिए पत्र (Letters for Defence Service Personnel)
यह नियम सेना, नौसेना, वायुसेना के कर्मचारियों की डाक से संबंधित है।
यदि कोई डाक वस्तु रक्षा सेवा की किसी यूनिट या संगठन के अधिकारी या सदस्य के नाम भेजी गई है,
तो वह केवल उसी व्यक्ति को दी जाएगी जिसे उस यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर द्वारा अधिकृत (Authorized) किया गया हो।ऐसी डाक वस्तु जिन पर डाक शुल्क भुगतान नहीं किया गया (Unpaid) हो,
उन्हें वितरण किए बिना प्रेषक को वापस कर दिया जाएगा।सैन्य पत्र (Military Letters) और ग्रीन लिफ़ाफ़े (Green Envelopes)
विशेष श्रेणी में आते हैं —
इन पर डाक शुल्क पहले से ही माफ होता है (Prepaid/Concessional)।इन पत्रों पर सैन्य डाकघर (Army Post Office – APO) की
तारीख मुहर (Date Stamp) लगाई जाती है,
और वितरण के समय कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता।
सार: सेना या रक्षा सेवा के कर्मियों के पत्र केवल अधिकृत माध्यम से दिए जाते हैं,
और सैन्य पत्रों पर किसी प्रकार का अतिरिक्त डाक शुल्क नहीं लिया जाता।
57. डाक वितरण रोकने की सुविधा (Retention of Delivery at Post Office)
अगर कोई व्यक्ति अपने इलाके में डाकिया द्वारा डाक प्राप्त नहीं करना चाहता, तो
- वह पोस्टमास्टर को लिखित आवेदन दे सकता है।
- उसके पत्र और अन्य वस्तुएँ डाकघर में ही रोक ली जाएंगी।
- वह अपनी डाक स्वयं डाकघर की खिड़की से कार्य समय के दौरान ले सकता है।
- यह सुविधा केवल तब तक रहेगी जब तक प्राप्तकर्ता स्वयं इसे जारी रखना चाहे।
मतलब: यदि कोई व्यक्ति चाहता है कि उसकी डाक घर न जाकर डाकघर में रखी जाए,
तो वह लिखित आवेदन देकर ऐसा कर सकता है।
58. उन स्थानों के लिए जहाँ रोज़ाना डाकिया नहीं जाता (Delivery through Messenger)
कुछ दूरस्थ जगहों पर रोज़ाना डाकिया नहीं पहुँचता। ऐसे क्षेत्रों के लोगों को अपनी डाक पाने के लिए डाकघर में अपना संदेशवाहक (Messenger) भेजना पड़ता है।
- संदेशवाहक प्राप्तकर्ता के परिवार या स्वयं के पत्र और रजिस्ट्री वस्तुएँ ले सकता है।
- प्राप्तकर्ता को एक खाता (Account) खोलना होता है, जिसमें डाक शुल्क के भुगतान हेतु अग्रिम राशि जमा करनी होती है।
- इस खाते से नियमित अंतराल पर भुगतान समायोजित किया जाता है।
- डाकघर यदि चाहे तो ताले वाले थैले की सुविधा भी दे सकता है।
- इस थैले की एक चाबी डाकघर के पास और दूसरी प्राप्तकर्ता के पास रहेगी।
- यह थैला केवल डाक सामग्री के लिए होगा, उसमें नकद पैसा नहीं रखा जा सकता।
मतलब: जिन जगहों पर डाकिया नहीं जाता, वहाँ व्यक्ति का संदेशवाहक डाकघर से उसकी डाक ले सकता है।
59. मनी ऑर्डर का भुगतान (Payment of Money Order through Messenger)
ऐसे स्थानों पर जहाँ रोज़ाना डाक वितरण नहीं होता, वहां
- प्राप्तकर्ता डाकघर को लिखित में अनुमति दे सकता है कि उसका मनी ऑर्डर उसके अधिकृत संदेशवाहक को दे दिया जाए।
- पोस्टमास्टर उस व्यक्ति की अनुमति देखकर मनी ऑर्डर की राशि उसी संदेशवाहक को अदा करेगा।
- संदेशवाहक के हस्ताक्षर उस मनी ऑर्डर पर मान्य माने जाएंगे।
मतलब: प्राप्तकर्ता यदि चाहे तो उसका मनी ऑर्डर भी उसका अधिकृत व्यक्ति ले सकता है।
60. संदेशवाहक को रजिस्ट्री वस्तुओं का वितरण (Delivery of Registered Articles to Messenger)
- यदि प्राप्तकर्ता लिखित में अनुमति दे, तो पोस्टमास्टर उसका संदेशवाहक को रजिस्टर्ड, बीमाकृत वस्तुएँ और मनी ऑर्डर दे सकता है।
- लेकिन वी.पी.पी. (Value Payable Post) वस्तुएँ केवल नियम 43 के अनुसार ही दी जाएंगी।
- यदि प्राप्तकर्ता ने अपने संदेशवाहक को हस्ताक्षर करने का अधिकार नहीं दिया है, तो संदेशवाहक सिर्फ रसीद और नोटिस प्राप्त कर सकता है।
- वस्तु या राशि तभी दी जाएगी जब सही हस्ताक्षरित रसीदें लौटाई जाएँ।
- यह अनुमति सभी वस्तुओं पर लागू नहीं होती, इसे सिर्फ रजिस्ट्री या बीमाकृत वस्तुओं तक सीमित रखा जा सकता है।
- यह अधिकार तीन वर्षों तक मान्य रहता है। तीन साल बाद इसे नवीनीकृत कराना पड़ता है।
मतलब: संदेशवाहक रजिस्ट्री या बीमाकृत डाक प्राप्त कर सकता है, अगर उसे लिखित अनुमति दी गई हो।
61. शैक्षणिक संस्थाओं के विद्यार्थियों के लिए डाक वितरण (Delivery of Postal Articles to Students)
- यदि किसी विद्यालय या कॉलेज में विद्यार्थियों को डाक भेजी जाती है, तो संस्था के अध्यक्ष/प्रिंसिपल की अनुमति से डाक वस्तुएँ उनके अधिकृत प्रतिनिधि को दी जा सकती हैं।
- अध्यक्ष/प्रिंसिपल की जिम्मेदारी होगी कि वह डाक सही विद्यार्थी तक पहुँचाए।
- बीमाकृत वस्तुएँ या मनी ऑर्डर भी अध्यक्ष/प्रिंसिपल को दिए जा सकते हैं, बशर्ते वे संबंधित विद्यार्थियों के लिए पूर्ण दायित्व स्वीकार करें और डाक विभाग को आवश्यक दस्तावेज दें।
मतलब: कॉलेज या स्कूल की डाक अध्यक्ष/प्रिंसिपल के माध्यम से विद्यार्थियों तक पहुँचाई जा सकती है।
Conclusion (निष्कर्ष)
डाक वस्तुओं के वितरण का नियम (Rules for Delivery of Postal Articles) यह सुनिश्चित करते हैं कि हर डाक सामग्री — चाहे वह पत्र हो, पार्सल हो या बीमाकृत वस्तु —
सही व्यक्ति तक, सही समय पर और सुरक्षित रूप से पहुँचे।
रजिस्टर्ड और मूल्यदेय वस्तुओं के लिए निर्धारित प्रक्रियाएँ डाक सेवा को अधिक विश्वसनीय और पारदर्शी बनाती हैं। इन नियमों के पालन से न केवल ग्राहक संतुष्टि बढ़ती है, बल्कि भारतीय डाक सेवा की साख और भरोसा भी कायम रहता है।
