डाकभार का अग्रिम नगद भुगतान, खराब या विरूपित और जाली या फर्जी डाक टिकट

डाकभार का अग्रिम नगद भुगतान, खराब या विरूपित और जाली या फर्जी डाक टिकट (Advance payment of postage in cash, damaged or defaced postage stamps, counterfeit postage stamps): डाक विभाग में डाक शुल्क का भुगतान केवल डाक टिकटों से ही नहीं, बल्कि विशेष परिस्थितियों में अग्रिम नगद भुगतान (Prepayment in Cash) द्वारा भी किया जा सकता है। यह सुविधा उन व्यक्तियों या संस्थानों के लिए है जो बड़ी मात्रा में डाक भेजते हैं।

साथ ही, नियम यह भी बताते हैं कि खराब या विरूपित डाक टिकटों का उपयोग अमान्य होता है, और फर्जी या जाली डाक टिकटों का प्रयोग एक दंडनीय अपराध माना जाता है। यह अध्याय डाक भुगतान की वैध विधियों और टिकटों की सत्यता से जुड़े नियमों को स्पष्ट करता है, जिससे डाक सेवा की विश्वसनीयता और वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

डाकभार का अग्रिम नगद भुगतान, खराब या विरूपित और जाली या फर्जी डाक टिकट सम्बन्धी नियम डाकघर गाइड भाग 1 में दी गयी है, आइये इसके बारे में विस्तार से समझते हैं.


1. डाकभार का अग्रिम नगद भुगतान (Prepayment of Postage in Cash)

कुछ मुख्य डाकघरों को यह अनुमति दी है कि वे कुछ विशिष्ट संस्थाओं या व्यक्तियों से नकद रूप में डाक शुल्क स्वीकार कर सकें।

यह सुविधा खासकर उन ग्राहकों को दी जाती है जो बहुत बड़ी मात्रा में डाक (Bulk Mail) भेजते हैं।

उदाहरण के लिए —

  • बड़े शहरों में कम से कम 500 रजिस्ट्री पैकेट

  • छोटे शहरों में 250 पैकेट
    भेजने वालों को यह अनुमति दी जाती है कि वे डाक शुल्क नकद में जमा करें।


इस सुविधा की शर्तें:

  1. केवल उन्हीं को अनुमति है जो बड़ी मात्रा में रजिस्ट्री डाक या पार्सल भेजते हैं।

  2. भेजी जाने वाली वस्तुएँ एक ही तरह की होनी चाहिए (जैसे सभी रजिस्ट्री लेटर)।

  3. बुकिंग के समय ग्राहक को रजिस्ट्री जनरल (Registered General Form) का उपयोग करना होता है।

  4. हर बार 50 से कम रजिस्ट्री वस्तुएँ नहीं भेजी जा सकतीं।

  5. भुगतान की रसीद डाकघर द्वारा दी जाती है, जो भुगतान का प्रमाण मानी जाती है।

इस प्रकार, जिन संस्थानों को बड़ी मात्रा में डाक भेजनी होती है,
वे टिकट चिपकाने के बजाय अग्रिम नकद भुगतान करके तेज़ी और सुविधा से अपनी डाक भेज सकते हैं।


2. खराब या विरूपित डाक टिकट (Spoilt or Defaced Stamps)

अगर कोई डाक टिकट गलती से खराब हो गया हो,
जैसे कि

  • गोंद गलत लग गया,

  • टिकट मुड़ गया, या

  • गलती से किसी पुराने लिफ़ाफे पर चिपक गया और उपयोग नहीं हुआ —
    तो ऐसे मामलों में टिकटधारी रिफंड (Refund) प्राप्त कर सकता है।


शर्तें:

  1. टिकट अनुपयोगी (Unused) होना चाहिए।

  2. वह टिकट पूरी तरह दिखाई देने योग्य और असली हो।

  3. आवेदन टिकट खराब होने की तारीख से एक महीने के भीतर देना चाहिए।

  4. डाकघर टिकट का मूल्य लौटाने से पहले 5% की कटौती कर सकता है।

यानी, अगर टिकट गलती से खराब हो गया है लेकिन उसका दुरुपयोग नहीं हुआ,
तो डाकघर ग्राहक को उसका कुछ मूल्य वापस करता है।


3. फर्जी डाक टिकट (Forgery or Counterfeit Stamps)

यदि कोई व्यक्ति नकली (Fake) या जाली डाक टिकट का प्रयोग करता है,
तो वह अवैध और दंडनीय अपराध माना जाएगा।


क्या होता है फर्जी टिकट:

  • जो टिकट भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी नहीं किया गया है।

  • टिकट की छपाई, रंग, आकार या डिजाइन असली टिकट से भिन्न हो।

  • टिकट पहले से इस्तेमाल हो चुका हो और दोबारा लगाया गया हो।


कानूनी स्थिति:

  • ऐसे टिकट का उपयोग भारतीय डाक अधिनियम व भारतीय दंड संहिता (IPC 263A) के तहत अपराध है।

  • दोषी व्यक्ति पर जुर्माना या क़ैद दोनों हो सकते हैं।

  • ऐसी डाक सामग्री को “अवैतनिक डाक” (Unpaid Mail) माना जाता है,
    और डाकघर उस वस्तु को रोक लेता है।


डाक विभाग की सावधानी:

  • फर्जी टिकटों से बचने के लिए टिकट केवल डाकघर या अधिकृत विक्रेता से ही खरीदें।

  • डाक अधिकारी को किसी संदिग्ध टिकट की सूचना तुरंत दें।

  • ऐसे टिकट को दोबारा उपयोग करने की कोशिश न करें — यह कानूनी अपराध है।



निष्कर्ष (Conclusion)

डाक विभाग के ये नियम ईमानदार उपयोगकर्ताओं की सुविधा और व्यवस्था की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं —

  • अग्रिम भुगतान से समय की बचत होती है,

  • खराब टिकटों पर राहत मिलती है,

  • और फर्जी टिकटों पर सख़्त नियंत्रण डाक व्यवस्था को पारदर्शी बनाए रखता है।

डाकभार का अग्रिम नगद भुगतान, खराब टिकटों का निस्तारण और फर्जी टिकटों पर नियंत्रण — ये सभी प्रावधान डाक सेवा की पारदर्शिता, विश्वसनीयता और आर्थिक अनुशासन को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इन नियमों का पालन न केवल डाक प्रशासन के हित में है, बल्कि जनता को भी सुरक्षित और वैध डाक सेवाओं का लाभ प्रदान करता है। अतः प्रत्येक डाक उपयोगकर्ता को इन प्रावधानों की जानकारी और अनुपालन करना चाहिए।

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